Bihar Elections 2025: कांग्रेस की हार के बाद फिर क्यों याद आया गांधी जी का यह बयान? ‘राजनीति छोड़ो’ की सलाह के पीछे छिपा था बड़ा कारण!

Bihar Elections 2025: कांग्रेस की हार के बाद फिर क्यों याद आया गांधी जी का यह बयान? 'राजनीति छोड़ो' की सलाह के पीछे छिपा था बड़ा कारण!

Bihar Elections 2025:

 बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम आ गया है. इस चुनाव में BJP के नेतृत्व वाला एनडीए न सिर्फ बहुमत हालिस किया है बल्कि विरोधियों को पस्त भी कर दिया है. 243 में से 202 सीटों पर जीत के साथ एनडीए गठबंधन ने विपक्ष के मनसूबों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार की सत्ता संभालने जा रहे हैं. इस चुनाव में विपक्ष महागठबंधन अपने मजबूत गढ़ों में भी जीत नहीं दर्ज कर पाया, यहां तक कि कांग्रेस 2020 में हुए चुनाव से भी खराब प्रदर्शन की है. इस बार के चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी को मात्र  6 सीटें ही मिल पाई हैं. वहीं साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटों में जीत मिली थी.

इस बार महागठबंधन में कांग्रेस पार्टी को 61 सीटें मिलीं जिनमें से कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटों पर ही जीत मिल गई. वहीं साल 2020 वाले चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें 19 सीट ही निकालने में कामयाब हो पाई थी

बिहार में महागठबंधन की करारी हार के बाद कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर लोग सोशल मीडिया पर तरह तरह की बात कर रहे हैं. इसी बीच कांग्रेस को मिली बड़ी हार के बाद सोशल मीडिया पर महात्मा गांधी का एक पुराना बयान तेजी से वायरल हो रहा है. बिहार चुनाव का परिणाम आने के बाद लोग गांधी जी के उस विचार को शेयर कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कांग्रेस को राजनीति छोड़ने की सलाह दी थी.

जानें गांधी ने क्यों कहा था -कांग्रेस को राजनीति छोड़ दे

दरअसल यह बयान महात्मा गांधी ने आजादी के तुरंत बाद कांग्रेस के भविष्य को लेकर कहा था. गांधी का मानना था कि आजादी के बाद भारत में कांग्रेस का मूल उद्देश्य जो था वो पूरा हो चुका है. यानी जनता को आजाद कराना कांग्रेस का उद्देश्य था जो पूरा हो चुका है. इसलिए अब उसे सत्ता की राजनीति छोड़ देनी चाहिए और लोगों की भलाई, गांवों के पुनर्निर्माण, गरीबी हटाने और सामाजिक सुधारों पर पूरा ध्यान देना चाहिए.

गांधी का स्पष्ट तर्क था कि कांग्रेस अगर सत्ता, पद और राजनीतिक मुकाबले में उलझेगी तो उसके मूल आदर्श कमजोर पड़ जाएंगे. इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी को लेकर यह सलाह दी थी कि कांग्रेस खुद को एक राजनीतिक दल के रूप में नहीं बल्कि भारत के लोगों की सेवा और सामाजिक कामों के लिए समर्पित करे.


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