दिल्ली ब्लास्ट केस: अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर शिकंजा, 16 घंटे की छापेमारी
दिल्ली ब्लास्ट केस: अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर शिकंजा, 16 घंटे की छापेमारी और चेयरमैन 13 दिन की कस्टडी में
दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में जांच लगातार तेज होती जा रही है और इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कई ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की। छापेमारी लगभग 16 घंटे तक चली और इसके बाद यूनिवर्सिटी से जुड़े ट्रस्ट के चेयरमैन को 13 दिनों की कस्टडी में भेज दिया गया है।
यह कार्रवाई 19 नवंबर की लेटेस्ट अपडेट मानी जा रही है, जिसमें जांच एजेंसियों को कई नए सुराग मिले हैं।
क्या मिला ED को छापेमारी में?
जांच एजेंसी को छापेमारी के दौरान वित्तीय लेन-देन से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं।
कुछ लेन-देन ऐसे पाए गए हैं जिनमें पैसों को इधर-उधर घुमाने का शक है।
यूनिवर्सिटी के फंड का इस्तेमाल कैसे और कहाँ हुआ, इस पर गंभीर सवाल उठे हैं।
छात्रों से वसूली गई फीस और उसके उपयोग को लेकर भी गड़बड़ियों की आशंका जताई गई है।
ED को शक है कि कई सालों से लगातार पैसों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा था।
इसके अलावा, कई खातों में अचानक बढ़ोतरी ने जांच को और गहरा कर दिया है।
ब्लास्ट केस से कनेक्शन कैसे जुड़ा?
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कुछ स्टाफ और ट्रस्ट से जुड़े लोगों के नाम दिल्ली कार ब्लास्ट मामले के संदिग्धों के संपर्क में पाए गए।
जांच एजेंसियों को शक है कि—
कुछ वित्तीय ट्रांजेक्शन ब्लास्ट के आरोपियों तक पहुँचे थे, जिनकी पुष्टि की जा रही है।
यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ नंबर और ईमेल संदिग्ध गतिविधियों में उपयोग किए गए।
ब्लास्ट की प्लानिंग और फंडिंग में “white-collar नेटवर्क” की भूमिका हो सकती है।
यह संबंध सामने आते ही मामले को बहुत गंभीर माना जाने लगा है।
यूनिवर्सिटी की मान्यता और संचालन पर सवाल
छापेमारी के बाद यह भी सामने आया कि—
यूनिवर्सिटी की मान्यता से जुड़ी कुछ जानकारी सही नहीं बताई गई थी।
कई कोर्स और एडमिशन सिस्टम में अनियमितताएँ पाई गईं।
प्रशासनिक स्तर पर कई निर्णय बिना पारदर्शिता के लिए गए थे।
कई छात्रों और पूर्व कर्मचारियों के बयान भी लिए जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि गलत गतिविधियाँ कब से चल रही थीं।
16 घंटे की लगातार छापेमारी
जांच एजेंसी ने दिल्ली और फरीदाबाद में एक साथ कई ठिकानों पर रेड की।
सुबह से रात तक लगातार कार्रवाई चली।
कंप्यूटर, हार्ड डिस्क, दस्तावेज़ और डिजिटल डाटा को कब्जे में लिया गया।
कई अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस दिए गए हैं।
जांच के दौरान एजेंसियों को कई ऐसे रिकॉर्ड मिले हैं जिनका हिसाब यूनिवर्सिटी प्रबंधन नहीं दे सका।
चेयरमैन 13 दिन की कस्टडी में
छापेमारी के बाद यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के चेयरमैन को हिरासत में लिया गया है। कोर्ट ने उन्हें 13 दिन की कस्टडी में भेज दिया है ताकि—
पैसों के प्रवाह की जांच
संदिग्ध संपर्क
डिजिटल साक्ष्य
संभावित मनी-लॉन्ड्रिंग
इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से पूछताछ की जा सके।
आगे क्या होने वाला है?
जांच एजेंसियों के लिए यह केस अब हाई-प्रायोरिटी हो गया है।
अगले चरण में—
विदेशी फंडिंग की जांच
यूनिवर्सिटी के पुराने खातों का ऑडिट
संदिग्ध कर्मचारियों व छात्रों से पूछताछ
ब्लास्ट से जुड़े डिजिटल footprint का मिलान
ये सब तेजी से किया जाएगा।
संभव है कि आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियाँ हों और कुछ बड़े खुलासे सामने आएं।
निष्कर्ष
19 नवंबर को आए लेटेस्ट अपडेट के बाद यह साफ है कि दिल्ली ब्लास्ट केस अब सिर्फ अपराध की जांच नहीं, बल्कि एक बड़े फाइनेंशियल नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में बढ़ चुका है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ मिली सूचनाएँ एजेंसियों को इस केस में और गहराई तक जाने के लिए मजबूर कर रही हैं।
आने वाले दिनों में यह मामला और बड़ा रूप ले सकता है।
Post Views: 6


