बिहार में एनडीए की जीत को लेकर समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं. सपा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी का लठैत बन गया है.
बिहार चुनाव में एनडीए की जीत के बाद समाजवादी पार्टी लगातार भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग पर हमलावर हैं. सपा ने नवंबर महीने में सपा के बुलेटिन में बीजेपी और आयोग के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए और आयोग को बीजेपी का लठैत तक बता दिया.
सपा के बुलेटिन में बिहार में चुनाव को लेकर विस्तृत रूप से लेख छपा है जिसमें एसआईआर से लेकर चुनाव के दौरान आयोग का जो रवैया रहा उस पर खुलकर अपनी बात रखी गई हैं.
चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप
इस लेख कहा गया है कि ‘ये संयोग नहीं कि एसआईआर में 65 लाख वोटरों के नाम काटने वाले बिहार की जो तस्वीरें आई उससे साफ हैं कि बीजेपी ने चुनाव का किस तरह माखौल बनाया है. बीजेपी के सांसद व सैकड़ों कार्यकर्ताओं मतदान के साथ स्याही वाली उंगली भी दिखाई लेकिन चुनाव आयोग का ध्यान नहीं गया.
ये चूक नहीं चुनाव आयोग की ढिठाई का मामला है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीन चरणों में वोट चोरी का मुद्दा उठाया बावजूद इसके बीजेपी अब चोरी और सीनाजोरी पर उतर आई है. एक पते पर सैकड़ों वोट बनाने का काम हो रहा है और इसे उठाने वाले इंडिया गठबंधन पर चुनावी हार का ठीकरा फोड़ने और ईवीएम के बाद दोषी बताने के अपराधी या राजनैतिक नासमझ होने के आरोप लगाए जा रहे हैं.’
सपा ने EC को बताया बीजेपी का लठैत
सपा ने कहा कि चुनाव आयोग ने किसी आरोप का संतोषजनक जवाब नहीं दिया और विपक्ष से ही धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया. मीडिया भी चुनाव आयोग की गलती को नजरअंदाज करती है और बीजेपी के सुर में सुर मिलाकर विपक्ष की खिल्ली उड़ाती है. इससे हमारा लोकतंत्र संकट में पड़ गया है.
चुनाव आयोग बीजेपी या केंद्र सरकार का चुनाव आयोग नहीं बल्कि भारत का चुनाव आयोग है. अगर भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो चुनाव आयोग सबसे ताक़तवर चुनाव आयोग हैं लेकिन, बीजेपी के शासन में आने का बाद ये शासक दल का लठैत बन गया है. इससे हमारे लोकतंत्र का भविष्य खतरे में पड़ गया है.
देश के लोकतंत्र पर खतरा होने का आरोप
अगर संसदीय लोकतंत्र में चुनाव गड़बड़ होंगे तो संसद, क़ानून और संविधान खतरे में पड़ जाएगा. बीजेपी और चुनाव आयोग इसी तरह गलतियां करते जा रहे हैं. इससे लोकतंत्र, क़ानून और संविधान पर खतरा बढ़ रहा है. जिसके बाद इसकी अनदेखी करना किसी के वश में नहीं होगा. अदालतें, पूरा विपक्ष, मीडिया के साथ समाज का प्रबुद्ध वर्ग इसके खिलाफ खड़ा होगा. मोदी शाह का यही रवैया रहा तो ऐसा समय आने में वक्त नही लगेगा.



