Uttarakhand News: हरिद्वार में पूर्व BJP विधायक सुरेश राठौड़ पर उर्मिला सेनोवर ने फिर गंभीर आरोप लगाए. कार्रवाई न होने पर आत्मदाह की चेतावनी दी, जिससे राजनीतिक और पुलिस जांच की मांग तेज हो गई.
हरिद्वार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है. ज्वालापुर के पूर्व बीजेपी विधायक सुरेश राठौड़ पर उनकी कथित पत्नी उर्मिला सेनोवर ने दोबारा गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. उर्मिला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर दावा किया कि वह पिछले चार साल से मानसिक, शारीरिक और सामाजिक शोषण का शिकार हो रही हैं.
उनका कहना है कि राठौड़ ने रिश्ते का भरोसा देकर उन्हें अपने साथ रखा, लेकिन बाद में लगातार प्रताड़ित किया और अब उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की जा रही है.
बीजेपी प्रदेश कार्यालय के बाहर करूंगी आत्मदाह- उर्मिला
उर्मिला के अनुसार, उन्होंने कई बार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. वीडियो में वे भावुक होकर कहती हैं कि अगर अगले चार दिनों के भीतर प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया, तो वे बीजेपी प्रदेश कार्यालय के बाहर आत्मदाह कर लेंगी. उनकी यह चेतावनी सामने आते ही राजनीति और प्रशासन दोनों में हलचल मच गई है.
नए आरोपों से फिर सुर्खियों में आया विवाद
उर्मिला और सुरेश राठौड़ के विवाद की कहानी नई नहीं है. इससे पहले भी उनके कई वीडियो सामने आए थे, जिनमें उर्मिला ने खुद को पूर्व विधायक की पत्नी बताया था. इन विवादों के चलते बीजेपी ने कुछ समय पहले ही सुरेश राठौड़ को पार्टी से बाहर कर दिया था. इसके बावजूद मामला शांत नहीं हुआ और अब उर्मिला के नए आरोपों ने इस विवाद को फिर सुर्खियों में ला दिया है.
मेरी सिर्फ एक ही पत्नी है रविंद्र कौर- सुरेश राठौड़
हाल ही में सुरेश राठौड़ ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि उनकी सिर्फ एक ही पत्नी है- रविंद्र कौर और उनका किसी अन्य महिला से कोई वैवाहिक संबंध नहीं है. राठौड़ के इस बयान के कुछ ही समय बाद उर्मिला का नया वीडियो सामने आ गया, जिसमें उन्होंने राठौड़ को झूठा बताते हुए कई पुराने आरोप दोहराए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
दूसरी ओर, उर्मिला के आरोपों को लेकर स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन भी पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. हालांकि, बीजेपी नेतृत्व इस पूरे विवाद पर फिलहाल चुप है और कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
अब स्थिति यह है कि मामला केवल व्यक्तिगत विवाद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है. उर्मिला की चेतावनी ने प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है, जबकि राठौड़ की चुप्पी मामले को और पेचीदा बना रही है. आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह मुद्दा कानूनी कार्रवाई की ओर बढ़ता है या फिर राजनीतिक गलियारों में एक और विवाद के रूप में सिमटकर रह जाता है.



