पति की हत्या के 8 महीने बाद मां बनी मुस्कान — सवाल बच्ची का पिता कौन? डीएनए रिपोर्ट से हो सकता है राज का खुलासा

पति की हत्या के 8 महीने बाद मां बनी मुस्कान — सवाल बच्ची का पिता कौन? डीएनए रिपोर्ट से हो सकता है राज का खुलासा

उत्तर प्रदेश के मेरठ में कुख्यात “नीले ड्रम” मर्डर केस में नामित मुस्कान रस्तोगी, जिसने अपने पति सौरभ राजपूत की हत्या कर दी थी, अब एक मां बन चुकी है।
लेकिन जैसे ही बच्ची का जन्म हुआ — सवाल उठा कि उसकी माँ बनने के इतने महीनों बाद — क्या बच्ची का पिता वाकई सौरभ था या कोई और? अब यह राज खुलने की उम्मीद है: पिता की पहचान के लिए डीएनए रिपोर्ट का सहारा लिया जाएगा।


🕵️‍♂️ पूरा मामला: हत्या, गिरफ्तारी और जेल

  • सौरभ की हत्या इसी साल मार्च में हुई थी। मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर सौरभ की हत्या की, फिर उसकी बॉडी को काटकर एक नीले रंग के ड्रम में सीमेंट के साथ भर कर छुपा दिया।

  • हत्या के बाद आरोपी जोड़ा कुछ समय फरार रहा; जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, तब पूरा मामला उजागर हुआ।

  • मुस्कान को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। गिरफ्तारी के बाद उसकी मेडिकल जांच में पाया गया कि वह गर्भवती है।


👶 8 महीने बाद मां बनी मुस्कान — लेकिन पैदा हुई बच्ची ने खड़ी किए सवाल

  • 24 नवंबर, 2025 को मुस्कान ने जेल में ही एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची का नाम रखा गया है “राधा”।

  • आरोपी के परिवार और सौरभ के परिजनों ने शक जताया कि बच्ची का पिता सौरभ है या साहिल?

  • इस शक की वजह है — मुस्कान की पति की हत्या, और उस हत्या के तुरंत बाद उसकी गर्भावस्था का खुलासा।


🔎 पितृत्व का राज — डीएनए से तय होगा असली हक़ीqat

  • सौरभ के परिवार ने अदालत या कोर्ट से मांग की है कि बच्ची और मुस्कान दोनों का डीएनए टेस्ट कराया जाए ताकि पता चले कि बच्ची सौरभ की है या नहीं।

  • अगर डीएनए रिपोर्ट दाखिल होती है — तो बच्ची का जैविक पिता साफ पता चल जाएगा।

  • इस बीच, जेल के नियमों के अनुसार, बच्ची को उसकी मां के साथ रखा जाएगा जब तक कानूनी हक तय न हो जाए।


⚠️ क्या कहता है कानून और सामाजिक सच?

  • कानूनी दृष्टिकोण से, यदि विवाह वैध था और पति-पत्नी के बीच संपर्क संभव था, तो कई मामलों में पति को कानूनी पिता माना जाता है — जब तक जैविक पिता साबित न हो जाए।

  • लेकिन ऐसे हत्या और हत्या-के-पश्चात गर्भाधान जैसे मामलों में, जैविक पिता का पता लगाना सामूहिक और न्याय-संगत तरीका है।

  • समाज और परिवार के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा है — बच्ची, उसकी परवरिश, उसकी पहचान, और उसके भविष्य से जुड़ी चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।


💭 भविष्य में क्या हो सकता है — कुछ संभावित नतीजे

परिस्थिति / नतीजासंभावना
डीएनए रिपोर्ट से बच्ची का पिता सौरभ पाए जानापरिजन बच्ची को अपनाकर पालन करना चाहेंगे; बच्ची को अधिकार मिल सकते हैं।
पिता साहिल पाए जाने परबच्ची की पहचान स्पष्ट हो जाएगी; सामाजिक-न्यायिक विवादित स्थिति बनेगी।
अदालत में डर-पोर्ट व कानूनी जटिलताएंबच्ची की कस्टडी, देखभाल, अधिकारों पर वाद-विवाद हो सकते हैं।
बच्चे के भविष्य, कागजात, नाम, समाज-स्वीकार्यता पर असरबच्ची की परवरिश और शिक्षा-पहलुओं में जटिलताएँ आ सकती हैं।

📝 निष्कर्ष

यह मामला सिर्फ एक हत्या-कांड नहीं है — यह एक नए जीवन, जन्म, पहचान और न्याय का मसला है।
मुस्कान की बच्ची राधा के लिए भविष्य में केवल प्यार, देखभाल और समाज की स्वीकार्यता ही नहीं — उसकी जन्म पहचान ज़रूरी है।
डीएनए रिपोर्ट की मदद से, उम्मीद है कि सच सामने आएगा और बच्ची का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा।
लेकिन इस बीच, उसकी ज़िंदगी की शुरुआत ही विवाद, सवालों और संवेदनाओं के बीच हो चुकी है — और यह सोचने वाली बात है कि हमें इस बच्ची और उसकी परवरिश को कितना सोच-समझकर संभालना चाहिए।

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